लोहा नरम होकर
औजार बन जाता है
सोना नरम होकर
जेवर बन जाता है
मिट्टी नरम होकर
बर्तन बन जाती है
आटा नरम होता है
तो रोटी बन जाती है
ठीक इसी तरह अगर
इंसान भी नरम हो जाये
तो लोगो की दिलों मे
अपनी जगह बना लेता है।
क्या खूब लिखा किसी ने!!!!
मकानों के भाव
यूँ ही नहीं बढ़ गए...दोस्तो,
बस रिश्तों में पड़ी दरारों का
फायदा बिल्डर उठा गए..!!
यूँ तो काफी मिर्च-मसाले हैं इस जिंदगी में;
दोस्तों के बिना जायका फिर भी फीका ही लगता है....।
असल में वही जीवन की चाल समझता है,
जो सफ़र की धूल को गुलाल समझता है।
जो महसूस करते हैं बयाँ कर देते हैं
हमसे लफ़्ज़ों की दगाबाज़ी नहीं होती
बात से बात की गहराई चली जाती है,
झूठ आ जाए तो सच्चाई चली जाती है.
जिंदगी के दो पड़ाव
अभी उम्र नहीं है
अब उम्र नहीं है🌱
ये ना पूछना
ज़िन्दगी ख़ुशी कब देती है,
क्योकि शिकायते तो उन्हें भी है
जिन्हें ज़िन्दगी सब देती है
अक्सर वही रिश्ते,
लाजवाब होते हैं..
जो एहसानों से नहीं,
एहसासों से बने होते हैं..!
औजार बन जाता है
सोना नरम होकर
जेवर बन जाता है
मिट्टी नरम होकर
बर्तन बन जाती है
आटा नरम होता है
तो रोटी बन जाती है
ठीक इसी तरह अगर
इंसान भी नरम हो जाये
तो लोगो की दिलों मे
अपनी जगह बना लेता है।
क्या खूब लिखा किसी ने!!!!
मकानों के भाव
यूँ ही नहीं बढ़ गए...दोस्तो,
बस रिश्तों में पड़ी दरारों का
फायदा बिल्डर उठा गए..!!
यूँ तो काफी मिर्च-मसाले हैं इस जिंदगी में;
दोस्तों के बिना जायका फिर भी फीका ही लगता है....।
असल में वही जीवन की चाल समझता है,
जो सफ़र की धूल को गुलाल समझता है।
जो महसूस करते हैं बयाँ कर देते हैं
हमसे लफ़्ज़ों की दगाबाज़ी नहीं होती
बात से बात की गहराई चली जाती है,
झूठ आ जाए तो सच्चाई चली जाती है.
जिंदगी के दो पड़ाव
अभी उम्र नहीं है
अब उम्र नहीं है🌱
ये ना पूछना
ज़िन्दगी ख़ुशी कब देती है,
क्योकि शिकायते तो उन्हें भी है
जिन्हें ज़िन्दगी सब देती है
अक्सर वही रिश्ते,
लाजवाब होते हैं..
जो एहसानों से नहीं,
एहसासों से बने होते हैं..!
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